अझुका रचना- बाल कविता
282. हथिसुड़बा
हाथी जेहन सूँढ़ ओकर छै
चुट्टी सन छै चालि ओकर
कछुआ सन ससरै छै देखू
गदहा सन छै बोल ओकर
हड़हड़ गड़गड़ खूब करै छै
गाछ-बिरिछकेँ दै छै तोड़ि
ममता मोह ने आबै ओकरा
क्षणमे दै छै खत्ता कोरि
छिट्टा भरि भरि माँटि उठाबै
बड बलशाली नया मशीन
ओ हथिसुड़बा डेरबय हमरा
सपनामे आबि तोड़बै नीन
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