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रविवार, 8 जनवरी 2017

लप्रेक- नया साल

#लप्रेक - नया साल
- ओह, कने काल और सुतू ने ।एखन अन्हारे छै ।एतेक भोरे ऊठि क' कोन पहाड़ तोड़बै !
- दुर जाउ, सदिखन अहाँ मजाखे करै छी ।सुतबै त' चुल्हा के फुकतै ?
- एँ ! चुल्हा...आइ की छै जे चुल्हाक चक्करमे जाइ छी ?
- जाउ, अहाँ सब दिन बुड़बके रहि गेलौं ।यौ आइ नया साल छै, नया साल ।
- गोली मारू एहन नया सालकेँ ।अहाँ संग कोनो दिन पुरान थोड़बे बुझाइ छै ।नीन खुलै आ अहाँक सुन्दर मुँह आँखिक आगू आबि जाइ आ अहाँ नन्हकी मुस्की द' करेजासँ साटि लेब।बस ओ दिन हमरा लेल नये साल जकाँ बिततै ।
- भक्, अहूँ ने भोरे-भोरे बौरा जाइ छी ।

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