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शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

वर्णमाला : छ

बाल कविता -189
वर्णमाला : छ


टिप टिप एलै बरखा रानी
"छ"सँ छत्ता अब निकाल
पानिक बुनका लोकि लेतै ई
नै भीजत अंगा नै रूमाल

लाल पीयर कारी हरियर
सुन्दर फूल ताहिपर पारल
पातर छड़ी जेना फुलझड़ी
चारू कात कमानी छारल

सुरजक गर्मी सोखिये लै छै
रौदक मुँह दुसै छै छत्ता
हाथमे धेने चली बाटपर
क्षणमे गर्मी होइ निपत्ता


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