प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

बुधवार, 8 अक्तूबर 2014

कम-सम हँसी छै

गजल-2.35
अहाँ सुखी छी तेँ सब दुखी छै
सभक अधरपर कम-सम हँसी छै

सुमन खसल अछि मौला कऽ भूपर
परञ्च गाछक खातिर कली छै

सभक हियामे सुलफा बनल छी
विकास अनके सुनु चौमुखी छै

नहाउ कतबो तन रगड़ि बौआ
शरीर माटिक बिनु और की छै

उफान धेने कोसीक जलघर
हिमालयक सब दर्दक नदी छै

1212-22-2122

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