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शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

झूकि गेलै नभ

बाल कविता-26
झूकि गेलै नभ

माँ, माँ भेलै बड अजगुत आइ
झूकि गेलै चहुँ दिश नभ हरजाइ
खसि पड़तै चान-तरेगण अगुताइ
भाग-भाग माँ मारि दड़बड़ आइ

थम्ह-थम्ह, छै एकटा बात फुराइ
बीचसँ ओहिना, कातसँ झूकल देखाइ
बनि गेलै नीक सीढ़ी चान धरि दाइ
चढ़ि सकै छी आब अम्बरपर माइ

सब मीता संग आकाशपर जाइ
छीन खेबै चानसँ दूध-भात, मिठाइ
मस्ती करब तरेगण संग ग खेल खेलाइ
बनि जेतै मेघ हमर मीता, भाइ

अमित मिश्र

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