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बुधवार, 20 मार्च 2013

‎हास्य कविता~कंप्यूटर

कंप्यूटर सँ प्रेम होई छै
कंप्यूटर सँ शादी
कंप्यूटर सँ हेतै बच्चा
बैसल बढ़त आबादी
कंप्यूटर सँ किनब सब किछ
जाएब नइ कोनो मंडी
घरक नोकर कंप्यूटर भेलै
मनुक्ख बजाबै घंटी
कंप्यूटर सँ देश चलए
छुक छुक गाड़ी हवा जहाज
एहि सँ बनए कुंडली पंचांग
पंडितक नइ कोनो काज
कंप्यूटर पर पढ़ब पोथी
एहि पर लिखब नइ चाही सिलेट
कोनो काज नइ छुटत "अमित"
दुनिया कए लेलक समेट ।
{अमित मिश्र}}

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