प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

रविवार, 13 मई 2012

गजल



आँचरक छाँव बिसरल नै आब जेतै
अंङुरी छुटल टहलल नै आब जेतै

देखलौँ माँ जखन दर्द वाण सहलेँ
दर्द दोसरक देखल नै आब जेतै


गीत तूँ तूँ गजल आनंदक लहर छेँ
कात सुरसरिक छोड़ल नै आब जेतै

धैर्य के बानगी माँ तूँ एहि जग मे
नेह कैलाश बहकल नै आब जेतै


डाँट तोहर त' देखेलक बाट हमरा
तोर छवि छोड़ि भटकल नै आब जेतै

हमर अपराध हेबे करतै बहुत माँ
रूसलौँ माँ त' चहकल नै आब जेतै

फाइलातुन-मफाईलुन-फाइलातुध
2122-1222-2122
बहरे-असम- 


अमित मिश्र

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